Saturday, December 5, 2009

समस्याओं की जड़ में सरकार

आज के भारत में बहुत सी समस्याएँ हैं.और लगभग हर समस्या को कहीं न कहीं भ्रस्टाचार ही बढ़ावा देता है.और यहाँ सोचने वाली बात यह है की इस भ्रस्टाचार को स्वयं सरकार ही ख़तम करना नहीं चाहती.खत्म ही न सही पर भ्रस्टाचार को कम करके हम इससे जुडी समस्याएं चाहे वह गरीबी हो,आंतकवाद हो,बेरोज़गारी हो,अशिक्षा हो,अधुरा विकास,बदतर प्रशासन व्यवस्था जैसी समस्याओं पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं.
यहाँ तक सब पहले जैसा ही लिखा गया है जो आज तक भारत के पत्रकार,चिन्तक,और ऐसे ही अन्य महानुभाव लिखते आयें हैं.पर यहाँ हम बात बीमारी की जड़ की करेंगे.आखिर ऐसी कौन सी दवाई है जिससे बीमारी को ठीक किया जा सकता है.सबसे से पहले तो हम बीमारी ( भ्रस्टाचार ) के कारणों का पता लगाना चाहिए की आखिर लोग भ्रस्टाचार क्यों करते हैं.
1.बच्चों की अच्छी पढाई के लिए जो आजकल बहुत महंगी हो गयी है.
2.संकट के समय के लिए जिसको हम स्वास्थ्य समस्या भी कह सकते हैं,जैसे कोई बीमारी या दुर्घटना इत्यादि.
3.बाजारवाद की चमक धमक.
इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि अगर आम आदमी की सिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या हल कर दी जाये तो इस भ्रस्टाचार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.और एक खास तथ्य यह है कि किसी भी देश के ये मुख्य दो स्तम्भ विकसित देशों में बिलकुल निशुल्क हैं.और भारत में भी इन विकसित देशों कि तर्ज़ पर ये निशुल्क होनी चाहिए ताकि समस्या के साथ-२ गरीबों को भी ऊपर उठने का मौका मिल सके.
और जब व्यवाहरिक सिक्षा का प्रसार अधिक होगा तो भारत के सभ्य नागरिक बाज़ार कि ताम-झाम को भी अच्छी तरह से समझ कर बहकावे में नहीं आएगा. पर हमारे यहाँ इन स्तंभों पर बज़ट का नगण्य हिस्सा ही खर्च किया जाता है और इस मुद्दे पर हमारी संसद के पास बातचीत करने का भी समय नहीं है.
तो मूल मंत्र साफ है कि समस्या की जड़ को खत्म करो समस्या अपने आप दूर हो जाएगी.और ऐसा करने के लिए सरकार को मजबूर करो.