किस रावन की भुजा उखाड़ें,
किस लंका में आग लगाएं,
घर-घर में रावन बैठे हैं,
इतने राम कहाँ से लायें,
राम न सही,
सिपाही सेना के तो बन सकते हो,
हथियारों की हम नहीं कहते,
समर्थन अन्ना का तो कर सकते होI
Tuesday, August 16, 2011
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