किस रावन की भुजा उखाड़ें,
किस लंका में आग लगाएं,
घर-घर में रावन बैठे हैं,
इतने राम कहाँ से लायें,
राम न सही,
सिपाही सेना के तो बन सकते हो,
हथियारों की हम नहीं कहते,
समर्थन अन्ना का तो कर सकते होI
Tuesday, August 16, 2011
Saturday, December 5, 2009
समस्याओं की जड़ में सरकार
आज के भारत में बहुत सी समस्याएँ हैं.और लगभग हर समस्या को कहीं न कहीं भ्रस्टाचार ही बढ़ावा देता है.और यहाँ सोचने वाली बात यह है की इस भ्रस्टाचार को स्वयं सरकार ही ख़तम करना नहीं चाहती.खत्म ही न सही पर भ्रस्टाचार को कम करके हम इससे जुडी समस्याएं चाहे वह गरीबी हो,आंतकवाद हो,बेरोज़गारी हो,अशिक्षा हो,अधुरा विकास,बदतर प्रशासन व्यवस्था जैसी समस्याओं पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं.
यहाँ तक सब पहले जैसा ही लिखा गया है जो आज तक भारत के पत्रकार,चिन्तक,और ऐसे ही अन्य महानुभाव लिखते आयें हैं.पर यहाँ हम बात बीमारी की जड़ की करेंगे.आखिर ऐसी कौन सी दवाई है जिससे बीमारी को ठीक किया जा सकता है.सबसे से पहले तो हम बीमारी ( भ्रस्टाचार ) के कारणों का पता लगाना चाहिए की आखिर लोग भ्रस्टाचार क्यों करते हैं.
1.बच्चों की अच्छी पढाई के लिए जो आजकल बहुत महंगी हो गयी है.
2.संकट के समय के लिए जिसको हम स्वास्थ्य समस्या भी कह सकते हैं,जैसे कोई बीमारी या दुर्घटना इत्यादि.
3.बाजारवाद की चमक धमक.
इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि अगर आम आदमी की सिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या हल कर दी जाये तो इस भ्रस्टाचार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.और एक खास तथ्य यह है कि किसी भी देश के ये मुख्य दो स्तम्भ विकसित देशों में बिलकुल निशुल्क हैं.और भारत में भी इन विकसित देशों कि तर्ज़ पर ये निशुल्क होनी चाहिए ताकि समस्या के साथ-२ गरीबों को भी ऊपर उठने का मौका मिल सके.
और जब व्यवाहरिक सिक्षा का प्रसार अधिक होगा तो भारत के सभ्य नागरिक बाज़ार कि ताम-झाम को भी अच्छी तरह से समझ कर बहकावे में नहीं आएगा. पर हमारे यहाँ इन स्तंभों पर बज़ट का नगण्य हिस्सा ही खर्च किया जाता है और इस मुद्दे पर हमारी संसद के पास बातचीत करने का भी समय नहीं है.
तो मूल मंत्र साफ है कि समस्या की जड़ को खत्म करो समस्या अपने आप दूर हो जाएगी.और ऐसा करने के लिए सरकार को मजबूर करो.
यहाँ तक सब पहले जैसा ही लिखा गया है जो आज तक भारत के पत्रकार,चिन्तक,और ऐसे ही अन्य महानुभाव लिखते आयें हैं.पर यहाँ हम बात बीमारी की जड़ की करेंगे.आखिर ऐसी कौन सी दवाई है जिससे बीमारी को ठीक किया जा सकता है.सबसे से पहले तो हम बीमारी ( भ्रस्टाचार ) के कारणों का पता लगाना चाहिए की आखिर लोग भ्रस्टाचार क्यों करते हैं.
1.बच्चों की अच्छी पढाई के लिए जो आजकल बहुत महंगी हो गयी है.
2.संकट के समय के लिए जिसको हम स्वास्थ्य समस्या भी कह सकते हैं,जैसे कोई बीमारी या दुर्घटना इत्यादि.
3.बाजारवाद की चमक धमक.
इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि अगर आम आदमी की सिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या हल कर दी जाये तो इस भ्रस्टाचार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.और एक खास तथ्य यह है कि किसी भी देश के ये मुख्य दो स्तम्भ विकसित देशों में बिलकुल निशुल्क हैं.और भारत में भी इन विकसित देशों कि तर्ज़ पर ये निशुल्क होनी चाहिए ताकि समस्या के साथ-२ गरीबों को भी ऊपर उठने का मौका मिल सके.
और जब व्यवाहरिक सिक्षा का प्रसार अधिक होगा तो भारत के सभ्य नागरिक बाज़ार कि ताम-झाम को भी अच्छी तरह से समझ कर बहकावे में नहीं आएगा. पर हमारे यहाँ इन स्तंभों पर बज़ट का नगण्य हिस्सा ही खर्च किया जाता है और इस मुद्दे पर हमारी संसद के पास बातचीत करने का भी समय नहीं है.
तो मूल मंत्र साफ है कि समस्या की जड़ को खत्म करो समस्या अपने आप दूर हो जाएगी.और ऐसा करने के लिए सरकार को मजबूर करो.
Friday, November 27, 2009
कांग्रेस का मोहरा राज ठाकरे
आज के ज्वलंत समाचारों में एक चेहरा राज ठाकरे का है जो एक निहायत ही घटिया राजनीती पर उतर आया है.परन्तु आखिर क्या वजह है कि राज्य कांग्रेस सरकार और केंद्रीय कांग्रेस सरकार सिर्फ बयानबाज़ी के अलावा कोई कारवाई नहीं कर रही है.
अब सीधा बात कि गहराई में जाने से पता चलता है कि कारवाई न करने का सबसे ज्यादा फायदा किसको है.अगर राज ठाकरे और उसकी पार्टी को समाप्त कर दिया जाता है तो मनसे और शिवसेना का वोटबेंक दोबारा इकठा हो जाता है जिसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ेगा.
और इतिहास भी यही कहता है कि कांग्रेस वोटबेंक और सत्ता हथियाने के लिए कितना भी नीचे तक गिर सकती है.फिर चाहे कश्मीर मसला हो,पंजाब का मसला हो या फिर आपातकाल की बात हो.
अब सीधा बात कि गहराई में जाने से पता चलता है कि कारवाई न करने का सबसे ज्यादा फायदा किसको है.अगर राज ठाकरे और उसकी पार्टी को समाप्त कर दिया जाता है तो मनसे और शिवसेना का वोटबेंक दोबारा इकठा हो जाता है जिसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को झेलना पड़ेगा.
और इतिहास भी यही कहता है कि कांग्रेस वोटबेंक और सत्ता हथियाने के लिए कितना भी नीचे तक गिर सकती है.फिर चाहे कश्मीर मसला हो,पंजाब का मसला हो या फिर आपातकाल की बात हो.
Thursday, November 26, 2009
आपकी दुनिया में एक नया ब्लोगर
नमस्ते जी,
सबसे पहले विचारों को व्यक्त करने और एक सभ्य चिन्तक तबके तक उन विचारों को पहुँचाने के ससक्त माध्यम में एक नए ब्लागर की तरफ से
प्रणाम.
और विनती है की पोस्टों पर अपनी राय अवस्य दें.अगर अच्छा लगे तो होसला आफजाई करें अन्यथा सुझाव दें.
धन्यवाद सहित
रवि दत्त
सबसे पहले विचारों को व्यक्त करने और एक सभ्य चिन्तक तबके तक उन विचारों को पहुँचाने के ससक्त माध्यम में एक नए ब्लागर की तरफ से
प्रणाम.
और विनती है की पोस्टों पर अपनी राय अवस्य दें.अगर अच्छा लगे तो होसला आफजाई करें अन्यथा सुझाव दें.
धन्यवाद सहित
रवि दत्त
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